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नर्मदा परिक्रमा यात्रा नहीं जीवन जीने की साधना है-दादा गुरु

नर्मदा परिक्रमा यात्रा नहीं जीवन जीने की साधना है-दादा गुरु

 

मांडू से सोनू यादव की रिपोर्ट
हमारा जीवन, धर्म और संस्कृति सब प्रकृति पर केंद्रित है। प्रकृति भाव प्रधान है। नर्मदा परिक्रमा हमारे लिए कोई यात्रा नहीं बल्कि जीवन जीने की साधना है। एक ऐसी साधना जो सनातन धर्म की संस्कृति को प्रकट करती है। दुनिया के लिए यह नदि है पर हमारे लिए शक्ति है।

यह बात निराहारी संत दादा गुरु ने पर्यटन नगरी मांडू में प्रवेश के दौरान मीडिया से चर्चा में कहीं। आगे चर्चा में उन्होंने कहा कि दुनिया मां नर्मदा को नदी के रूप में देखती है पर हमारी संस्कृति के अनुसार हम उसे शक्ति और भगवती के रूप में देखते हैं। यह प्रत्यक्ष शक्ति है जिस पर हमारा धर्म संस्कृति सब केंद्रित है। हमारी साधना उन्हें पर समर्पित है। हम सभी को अपनी धर्म और संस्कृति पर गर्व करना चाहिए और उसके अनुरूप ही जीवन में आचरण करना चाहिए। यह प्रकृति जो हमें जीवन देती है उसके संरक्षण के लिए हमें शपथ लेनी चाहिए। प्रकृति की रक्षा करने के साथ हमें जीवन पर्यंत पौधारोपण को अपनी आदत बनाना चाहिए।
मांडू है दूसरी अयोध्या

अपने संध्या के प्रवचन में दादा गुरु ने मांडू के विषय में अद्भुत प्रसंग कहे उन्होंने बताया कि मांडू दूसरी अयोध्या है विश्व में चतुर्भुज राम कहीं भी स्थापित नहीं है केवल मांडू में चतुर्भुज रूप में भगवान दर्शन देते हैं
दादा गुरु ने कहा कि अमरकंटक से मैया निकली है जिस तरह अमर कंठ इ कुंड है इस तरह रीवा कुंड भी मैया का उद्गम स्थान है उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि बहुत बड़ी बात है भगवान राम चतुर्भुज रूप में वह भी वनवासी के रूप में भगवान प्रकट हुए हैं साथ ही शासन प्रशासन स्थानीय जनता और मेरे अथक प्रयास से में रीवा कुंड पर सदा व्रत नर्मदा पद और कायाकल्प का कार्य करूंगा

सनातन धर्म ने विश्व को सिखाई जीने की कला

संत दादा गुरु ने चर्चा में आगे कहा कि हमारे देश की सनातन संस्कृति अद्भुत है और पूरा विश्व हमारी संस्कृति से प्रभावित है। सनातन धर्म और संस्कृति ने पूरे विश्व को जीने की कला सिखाई है। सनातन धर्म वर्तमान दौर में भी प्रासंगिक है। मां नर्मदा हमारी जीवन रेखा है ।

श्रद्धालुओं के साथ पर्यटकों ने भी लिया दादा गुरु का आशीर्वाद

इधर कालीबावड़ी से तारापुर घाट क्षेत्र होते हुए दादा गुरुदेव संत जनों के साथ दोपहर 4 बजे मांडू पहुंचे। इस दौरान उनके भक्तों और श्रद्धालुओं ने पलक पांवड़े बिछाकर उनका स्वागत किया। मार्ग में परिक्रमा के दौरान उन्होंने जगह-जगह पौधों का वितरण किया और लोगों को पौधारोपण करने करने की सलाह की साथी उन्होंने बताया कि पौधों को पानी देने से हमारे पितृ खुश होते हैं रात्रि विश्राम दादा गुरु ने श्री राम मंदिर में किया अपने प्रवचन और मां नर्मदा की आरती से सभी श्रद्धालु झूम उठे सुबह 8:00 बजे के लगभग मंदिर से प्रस्थान कर रीवा कुंड के लिए निकले वहां श्रद्धालुओं ने जगह-जगह दादा गुरु का स्वागत फूल मालाओं से किया रीवा कुंड पहुंचकर दादा गुरु ने मां नर्मदा की आरती की साथ ही रुकमती के समीप नर्मदा पथ मार्ग से दादा गुरु आगे की परिक्रमा की ओर अग्रसर हुए उन्होंने नर्मदा पद और रीवा कुंड पर सदा व्रत की बात मांडू के मोनी बाबा से मिलकर उन्होंने नर्मदा रीवा कुंड पर एक नर्मदा भवन का निर्माण और सदा व्रत चालू करने की बात कही

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